भारत एक ऐसा देश है जहाँ विभिन संस्कृतियो और धर्मो के लोग रहते है , और हर धर्म हम को अच्छाई और मानवता सिखाता है | सिख धर्म भी एक ऐसा धर्म है जो सब को मानवता का पाठ पड़ता है |
सिख धर्म में दस हुए थे ,जीना में से पहले गुरु गुरु नानक जी थे जिन्होंने सिख धर्म की स्थापन की थी |
नानक जी ने सिख धर्म की नीव रखी थी ,गुरु नानक जी ने चारो और शांति ,प्रेम ,ज्ञान और जीवन को जीने का सही तारिक सिखाया है |
हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक जी की जयंती मनाई जाती है | इस साल 8 नवंबर को गुरु नानक जी की जयंती मनाई जा रही है , इसे प्रकाश पर्व भी कहते है |
गुरु नानक जी ने अनेक उपदेश दिए है जो आज के समय में जीवन जीने के लिया बहुत ही जरुरी है|
गुरु नानक जी की शिक्षाऔ को गुरु ग्रंथ साहिब में लिखी हुई है |
आइए जानते है गुरु नानक जी के कुछ उपदेश जो आप के जीवन को बदल देंगे
गुरु नानक जी की तीन मुख्य शिक्षाएँ है जीने सिख धर्म के तीन स्तंभ कहा जाता है | Guru Nanak Jayanti
किरात करो
इस का अर्थ है की आप ईमानदारी से और कड़ी मेहनत से काम करो और आप जीवन जिओ |
नाम जापो
इस का अर्थ है की आप अपने प्रभु का नाम लो उस का सिमरन करो ,भगवन के नाम का ध्यान जरूर करो |
वंड छको
इस का अर्थ है की अपना सब कुछ दुसरो के साथ बाँट कर खाओ ,जो भी जरूरत मंद हो उन की मदद करो | सिख धर्म के लोग अपनी आय का दसवां हिस्सा साझा करते है जिस से लंगर चलता है |
ये ही गुरु नानक देव जी की मूल शिक्षा है जिनका अनुसरण सिख धर्म के अनुयायी अपने तन-मन-धन से करते हैं |
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गुरु नानक जी के विचार (Guru Nanak Jayanti)
- ईश्वर एक है और वह सर्वत्र विद्यमान हैं – गुरु नानक जी का कहना है की सब का एक ही ईश्वर है और वो हर जगह पर है | हमें सबके साथ प्रेम के साथ रहना चाहिए |
- आप को अपनी मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से कुछ भाग जरूरतमंद लोगो को देना चाहिए |
- कभी भी लोभ नहीं करना चाहिए और लोभ का त्याग कर के आप को अपने हाथों से मेहनत करनी चाहिए और आप को उस काम को पुरे न्याय और मेहनत से करना चाहिए और जो भी धन का अर्जन करना हो वो भी पुरे न्याय और मेहनत से करना चाहिए और कभी भी धन को बर्बाद नहीं करना चाहिए |
- कभी भी आप को किसी का भी हक नहीं छिनना चाहिए | जो किसी का हक छिनते है उस को कभी भी समाज में सम्मान नहीं मिलता है |
- आप को धन को जेब तक ही सीमित रखना चाहिए | धन को कभी भी हृदय में स्थान नहीं देना चाहिए ,क्योंकि अगर धन हृदय तक आ गया तो वह आप के हृदय में लालच बढ़ देगा और आप लालची हो जाओगे |
- स्त्रीयो का आदर करना चाहिए ,और स्त्री पुरुष दोनों को ही बराबर मानना चाहिए |
- किसी को भी संसार को जीतने से पहले स्वयं अपने विकारों पर विजय पाना बहुत जरुरी है | जब तक आप खुद के विकारों पर विजय नहीं पाओगे तो आप कभी भी सफलता तक नहीं पहुंच पाओगे और अगर आप ने अपने विकारों पर विजय पा ली तो आपको कोई भी आपकी सफलता की सीढ़ियों से नीचे नहीं गिरा पाएगा |
- कभी भी किसी को अहंकार नहीं करना चाहिए , बल्कि विनम्र भाव से अपना जीवन गुजरना चाहिए | कभी भी किसी को अहंकार नहीं करना चाहिए क्यों की अहंकार से किसी का भी भला नहीं हुआ है अहंकार ने बड़े बड़े विद्वान भी बर्बाद कर दिया |
गुरु नानक जी के दोहे
जेती सिरठि उपाई वेखा
विणु करमा कि मिलै लई।
अर्थात – संसार में हमें जो भी मिलता है वो हमारे कर्मो के अनुसार मिलता है | अगर हम को कुछ भी पाना हो तो उस के लिए हम को कर्म करना पड़ेगा | सोचने से कुछ नहीं मिलता है उस को पाने के लिए कर्म करना पड़ता है | तभी हम को फल मिलता है |
तीरथि नावा जे तिसु भावा
विणु भाणे कि नाइ करी।
अर्थात – तीर्थों के स्नान से प्रभु तब खुश होंगे जब प्रभु को वह मंजूर होगा | बिना ईश्वर के मान्यता के तीर्थों का स्नान कोई महत्व नहीं रखता है क्यों की प्रभु के इच्छा के बिना तो कुछ हो ही नहीं सकता है जब तक उन की इच्छा नहीं होगी तब तक कुछ नहीं होगा |
गुरा इक देहि बुझाई।
सभना जीआ का इकु दाता
सो मैं विसरि न जाई।
अर्थात – गुरू का कहना है की शिक्षा है कि सृष्टिकर्ता एक परमात्मा है। उस परमपिता को हमें सदैव याद रखना चाहिए | वो ही इस पूरी सृष्टि का कर्त धर्त है उस परमपिता परमात्मा को कभी नहीं भूलना चाहिए |
गुरमुखि नादं गुरमुखि वेदं
गुरमुखि रहिआ समाई।
गुरू ईसरू गुरू गोरखु बरमा
गुरू पारबती माई।
अर्थात – गुरू की वाणी ही शब्द और वेद है | प्रभु का निवास गुरु के उन शब्दों में है | गुरू ही शिव ,विष्णु ,ब्रम्हा और पार्वती माता हैं | सभी देवताओं का मिलन गुरू के वचनों में ही प्राप्त है | गुरू से बड़ा कोई नहीं है |